ज्योतिष्याचार्य डॉ सुहास्जी का अल्प परिचय
ज्योतिषाचार्य डॉ. सुहासजी एक अल्पभाषी व्यक्तित्व है | इनका बाल्यावस्था से ही अदभुत शक्ति की तरफ आकर्षण रहा है | इस संसार की उत्पत्ति एवं मानव का इस धरा पर जीवन व्यापन करना, प्रकृति का समागम यह सहज ढंग से होनेवाली क्रिया है | पर इसके पीछे किस शक्ति का आधार है इस सत्य की खोज इनका मन नित्यसे ही करता रहा | इसके जीवन में घटी कुछ अनपेक्षित घटनाये इन्हें इस शक्ति के प्रति द्वेषभाव भी कुछ समय दे गयी | जीवन के मध्यकाल में पूज्यपाद सदगुरुदेव स्वामी निखिलेस्वरानन्दीजी (डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली) की दिव्य छत्र छाया में गुरुदेव अरविन्दजी श्रीमाली के दीक्षा उपरांत इनके जीवन स्वर्णमय हुआ | उनकी कृपा से आज वह सभी जातको को अल्प मार्गदर्शन करने हेतु इस कार्य में संलग्न है |
इन्होने अपनी प्राथमिक शिक्षा की और अपनी पदयुत्तर पदवी संगणक शास्त्र में पूर्ण की | जीवन के करीब १६ साल से ही उन्होंने इसमें कार्य एवं शिक्षण साथ साथ पूर्ण किया | संगणकीय सॉफ्टवेयर, वेबसाइट, ग्राफ़िक्स बनाना और छात्रो को शिक्षा प्रधान करना इनका प्रिय कार्य था | इसके अधिक विस्तार हुतू इन्होने अथक परिश्रम किये और एक सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट संस्था का निर्माण भी किया | जीवन में कुछ समय इन्हें जीवन व्यापन हेतु नोकरी भी करनी पड़ी | पर नोकरी में इनका मन नहीं लगता था | उनका मन मस्तिष्क हमेशा मानव कल्याणहेतू प्रेरित और उस अदृश्य शक्ति की खोज में था | कुछ समय बाद वह स्वर्णकाल आया और पूज्यपाद सदगुरुदेव स्वामी निखिलेस्वरानन्दीजी (डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली) की दिव्य छत्र छाया में गुरुदेव अरविन्दजी श्रीमाली से गुरुदीक्षा प्राप्त हुई | और उस अद्वितीय शक्ति के अनुभूति का समय शुरू हुआ | इसी बीच इन्होने ज्योतिषशास्त्र में अपनी डॉक्टरेट पदवी हासिल की | इसका पूर्ण श्रेय वह अपने सदगुरुदेव और परमपिता को देते है | आज उन्हिकी की कृपा से इस श्रेत्र में वह कही जातको को “भाग्य को बदलने की प्रेरणा देते है” | ज्योतिष्य के माध्यम से असाध्य रोगों को भी ठीक करने का प्रयास वह कर रहे है और गुरुकृपा से उसमे वह दिनोदिन सफल हो रहे है | वह जातको को संपूर्ण जीवन का भविष्यफल और जीवन मार्ग का पूर्ण परिचय कराते है | जिससे जातक अपने सारे कष्ट भूलकर नहीं उमंग से जीवन को जीने लगता है | इसने सरल ज्योतिषीय उपाय भी बड़े ही कारगार हो रहे है | आज अल्प समय में ही उन्होंने हस्तरेखा, वास्तु, रेकी, टरो, डाउजिंग, रमल, शांति कर्म इसमें सफलता पायी है | आज वह पितृदोष, कालसर्प दोष, ग्रहदोष, नक्षत्रदोष, वास्तु दोष, असाध्य रोगपीड़ा, तन्त्रबाधा, भूतबाधा का संपूर्ण निवारण एवं इस क्षेत्र में वह अधिक संशोधन हेतु अब व्यस्त है |
मानव का जन्म इस धरा पर ईश्वर ने भोग भोगने हेतु नहीं अपितु जीवन के कष्टकारी भोगो को काटकर आनंदमय उपभोग लेने हेतु किया है | इसपर उनका पूर्ण विश्वास है | समाज में ज्योतिष्यशास्त्र को भ्रामकरूप से वास्तविक सत्य की और ले जाना उनके जीवन का लक्ष्य है | इसके प्रति अन्धश्रधा एवं अविश्वास को दूर करने में वह कार्यस्थ है | ईश्वर को मानव अज्ञान, अल्प एवं अपूर्ण ज्ञान चक्षु के माध्यम से कदापि नहीं पा सकता | इसके लिए गुरुकृपा ही केवलं है, यही उनका अनुभव रहा है |
ज्योतिषशास्त्र यह एक संपूर्ण ईश्वरिय ज्ञानज्योति है | अनादी कल से इसमें कही सिद्ध ऋषि मुनियोने अपने तपोबल से इसे परखा और संसार के मानव कल्याण हेतु इसे इस्तेमाल भी किया | इसी कार्यहेतु वह समर्पित है |
शुभम भवतु
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