Tuesday, July 22, 2014

ज्योतिष्याचार्य डॉ सुहास रोकड़े

ज्योतिष्याचार्य डॉ सुहास रोकड़े

MAGIC OF THE GURU 
The moon and the rose never force their beauty and fragrance on other, rather its we who sense these and are attracted. It simply cannot be avoided. Quite similar is the magic of the GURU....

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Tuesday, July 15, 2014

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क्या है शनी साडेसाती....... 

                             

सूर्यपुत्र शनिदेव यह यमराजके भ्राता  है । इनका जन्म पौराणिक इतिहासानुसार सौराष्ट्र , गुजरात में डाकोर नदी के किनारे, जेष्ट माह के अमावस्या के दिन रात के १२ बजे हुआ  था | प्रचलित १२ शरिशियो में से शनिदेव एक ही समयपर ५ राशि में भ्रमण करते है |  एक ही समय इन पांच रशियोमेसे ३ रशिमे साढ़े सात वर्ष और दो रशियोंमे ढाई वर्ष का कालावधि तक बैठे  होते है |  उसे अढया कहते है | जिसके प्रभाव से उन्हें संकटो का सामना करना पढता है | इस कलावाधिमे मनुष्य को लाभ और नुक्सान दोनों का सामना करना पड़ता है |  लाभ या नुक्सान मनुष्य के जन्म कुंडली भाव में किस भाव में शनी  देवता विराजमान है उसपर आधारित होता है | वर्तमान शनी पीड़ित जातक राशी 

०२-११-२०१४ के पूर्व 

साडेसाती पीड़ित राशी : वृश्चिक, तुला, कन्या 

अढ़या पीड़ित राशी : कर्क और मीन 



०२-११-२०१४ के बाद 

साडेसाती पीड़ित राशी : धनु, वृश्चिक, तुला 

अढ़या पीड़ित राशी : सिंह और मेष 



आपका शुभचिन्तक 

ज्योतिष्य आचार्य डॉ सुहास रोकड़े 

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