क्या है शनी साडेसाती.......
सूर्यपुत्र शनिदेव यह यमराजके भ्राता है । इनका जन्म पौराणिक इतिहासानुसार सौराष्ट्र , गुजरात में डाकोर नदी के किनारे, जेष्ट माह के अमावस्या के दिन रात के १२ बजे हुआ था | प्रचलित १२ शरिशियो में से शनिदेव एक ही समयपर ५ राशि में भ्रमण करते है | एक ही समय इन पांच रशियोमेसे ३ रशिमे साढ़े सात वर्ष और दो रशियोंमे ढाई वर्ष का कालावधि तक बैठे होते है | उसे अढया कहते है | जिसके प्रभाव से उन्हें संकटो का सामना करना पढता है | इस कलावाधिमे मनुष्य को लाभ और नुक्सान दोनों का सामना करना पड़ता है | लाभ या नुक्सान मनुष्य के जन्म कुंडली भाव में किस भाव में शनी देवता विराजमान है उसपर आधारित होता है | वर्तमान शनी पीड़ित जातक राशी
०२-११-२०१४ के पूर्व
साडेसाती पीड़ित राशी : वृश्चिक, तुला, कन्या
अढ़या पीड़ित राशी : कर्क और मीन
०२-११-२०१४ के बाद
साडेसाती पीड़ित राशी : धनु, वृश्चिक, तुला
अढ़या पीड़ित राशी : सिंह और मेष
आपका शुभचिन्तक
ज्योतिष्य आचार्य डॉ सुहास रोकड़े
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