Thursday, July 26, 2018

गुरु पुर्णिमा - कैसे करे गुरु ? -ज्योतिष्याचार्य डॉ.सुहास


गुरु पूर्णिमा


गुरु नहीं है तो क्या चिंता,
इनको बनाईये अपना गुरु

हनुमानजी


श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुर सुधार |
बरनौ रघुवर बिमल जसु, जो दायक फल चारि |
बुद्धिहीन तनु जानि के, सुमिरौ पवन कुमार |
बल बुद्धि विद्या देहु मोहि हरहुं कलेश विकार।

गोस्वामी तुलसीदास ने हनुमान चालीसा के प्रारम्भ में ही इस दोहे के माध्यम से अपने श्रीगुरु हनुमान जी के प्रति श्रद्धा व्यक्त कर दी है। गोस्वामी तुलसीदास ने इसी के साथ ही यह भी बता दिया कि गुरु वंदना से क्या लाभ होते हैं। गुरु से प्रार्थना की, कि वह उनके सारे क्लेश मिटा दें। वास्तव में यही गुरु महिमा है। उपनिषदों से गुरु शब्द की उत्पत्ति हुई है। गु का अर्थ है अज्ञान और रु का अर्थ है अज्ञान को मिटाने वाला, प्रकाश देने वाला। जो अज्ञानता से ज्ञान की ओर ले जाए औरजो अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाए, वही गुरु है। श्रीमदभागवत में भगवान श्रीकृष्ण भी कहते हैं कि इष्ट से मिलाने का कार्य गुरु ही करते हैं।

किसको बनाएं गुरु, यह सवाल सबको सताता है। गुरु पूर्णिमा के अवसर पर यह आवश्यक नहीं कि किसी व्यक्ति विशेष को ही गुरु बनाया जाए। आप किनको गुरु बना सकते हैं, इसके विकल्प भी मौजूद हैं। संतगण कहते हैं कि गुरु ऐसा हो, जो सदा-सर्वादा के लिए हो। जिसके आप गुण देखें लेकिन दोष नहीं। गुरु को आपको सुलभ हो और आप समय-समय पर मार्ग दर्शऩ भी लेते रहें। यदि आपका कोई गुरु नहीं है तो आप इस प्रकार गुरु पूर्णिमा मना सकते हैं..

श्री हनुमान: जिस प्रकार गोस्वामी तुलसीदास जी के गुरु हनुमान जी हैं, उसी प्रकार आप भी हनुमान जी को अपना गुरु मान सकते हैं। हनुमान जी अष्ट सिद्धि और नौ निधियों के प्रदाता हैं। वह परम ज्ञानी हैं। परमवीर हैं। संकटमोचन हैं। उनकी शरण में जाने से शिष्यों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।

भगवान शिव


शंकर गुरु:, शंभो गुरु:, गुरु उमापती महेश्वर:, l
निराकार गुरु, साकार गुरु, गुरु महाकाल नागेश्वर: ll

हनुमान जी की तरह ही भगवान शंकर को भी आप गुरु बना सकते हैं। भोले बाबा सहज सरल हैं। वह प्रलंयकारी हैं। वह त्रिपुरारी हैं। न वह जटिल और न ही उनकी पूजा। भगवान शंकर को गुरु मानकर पूजा करने से सारे कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। 

भगवान श्रीकृष्ण


आप भगवान श्री कृष्ण को भी अपना गुरु बना सकते हैं। योगीराज श्रीकृष्ण समस्त बाधाओं को दूर करने वाले हैं। वह परमज्ञानी हैं। परमवीर हैं। मददगार हैं। धर्म, अर्थ और मोक्ष के मार्ग दर्शक हैं। आप भगवान विष्णु को भी अपना गुरु बना सकते हैं। श्री गुरुदेव दत्तप्रभु को भी गुरुरुपेन स्विकार करके गुरुचरित्र के १४ अध्याय के ११,पाठ कर ले l पंचपाल का विडा चढाकर नमन करे l

धर्मग्रंथ- नवग्रह

धर्मग्रंथ केवल पठन-पाठन और वाचन तक सीमित नहीं हैं। धर्मग्रंथ हमको आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं। पग-पग पर हमारा मार्ग दर्शऩ करते हैं। इसलिए, श्रीरामचरित मानस, भगवद्गीता आदि को आप गुरु मानकर पूज सकते हैं। इसी तरह नवग्रहों में से किसी एक को भी आप अपना गुरु बना सकते हैं।

कैसे लें गुरु दीक्षा ?

व्यक्तिगत गुरु दीक्षा तो आपके गुरु ही दिलाते हैं। लेकिन यदि आप अपने इष्ट को गुरु की संज्ञा देना चाहते हैं तो बहुत ही सरल उपाय है। हाथ में चावल, गंगाजल और कुछ दक्षिणा रखकर संकल्प लें और मंत्र पढें...ऊं गुरुवे नम:, ऊं हरि ऊं। मन ही मन संकल्प लें कि आज से आप हमारे गुरु हैं। हमने आप से दीक्षा ली हैं। हमारे घर परिवार में सुख-शांति बनाएं और हमारा कल्याण करें। हनुमान जी को गुरु बनाने वाले गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु पूजन करें या कराएं, चोला चढाएं। इसी तरह भगवान शंकर, भगवान विष्णु और भगवान श्रीकृष्ण भक्त गुरु पूजन कराएं। अंत मे क्षमा याचना प्रार्थना कर ले l

जय गुरुदेव !

-ज्योतिष्याचार्य डॉ.सुहास रोकडे
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