नवरात्री पूजन विधि
"ॐ दुं दुर्गाय नम:"
शुभ नवरात्री
दुर्गा नवरुप मंत्र जप दिनक्रमानुसार
१) शैलपुत्री - ॐ शं शैलपुत्र्यै फट
२) ब्रम्हचारीणी - ॐ ब्रं ब्रंम्हचारीण्यै नम:
३) चंद्रघंटा - ॐ चं चं चं चंद्रघंटायै हुं
४) कुष्मांडा - ॐ क्रीं कुष्माण्डयै क्री ॐ
५) स्कंदा - ॐ स्कंदायै देव्यै ॐ
६) कात्यायनी - ॐ क्रौं क्रौं कात्यायन्यै क्रौं क्रौं फट
७) कालिका - ॐ क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं हुं हुं दक्षिण कालिके क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं हुं हुं फट
८) महागौरी - ॐ श्रीं महागौर्यै ॐ
९) सिध्देश्वरी - ॐ शं सिद्धीप्रदायै शं ॐ
२) ब्रम्हचारीणी - ॐ ब्रं ब्रंम्हचारीण्यै नम:
३) चंद्रघंटा - ॐ चं चं चं चंद्रघंटायै हुं
४) कुष्मांडा - ॐ क्रीं कुष्माण्डयै क्री ॐ
५) स्कंदा - ॐ स्कंदायै देव्यै ॐ
६) कात्यायनी - ॐ क्रौं क्रौं कात्यायन्यै क्रौं क्रौं फट
७) कालिका - ॐ क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं हुं हुं दक्षिण कालिके क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं हुं हुं फट
८) महागौरी - ॐ श्रीं महागौर्यै ॐ
९) सिध्देश्वरी - ॐ शं सिद्धीप्रदायै शं ॐ
नवरात्रि की प्रतिपदा के दिन प्रातः स्नान करके घट स्थापन के बाद संकल्प लेकर दुर्गा की मूर्ति या चित्र की षोडशोपचार या पंचोपचार से गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य आदि निवेदित कर पूजा करें। मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखें।
शुद्ध पवित्र आसन ग्रहण कर ऊं दुं दुर्गाये नमः मंत्र का रुद्राक्ष या चंदन की माला से पांच या कम से कम एक माला जप कर अपना मनोरथ निवेदित करें। पूरी नवरात्रि प्रतिदिन जप करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और मनोकामना पूरी होती है। वर्ष में चार नवरात्रों का वर्णन मिलता है - दो गुप्त एवं दो प्रत्यक्ष। प्रत्यक्ष नवरात्रों में एक को शारदीय व दूसरे को वासन्तिक नवरात्र कहा जाता है। नवरात्र की पूर्व संध्या में साधक को मन में यह संकल्प लेना चाहिए कि मुझे शक्ति की उपासना करनी है। उसे चाहिए कि वह रात्रि में शयन ध्यानपूर्वक करे। प्रातःकाल उठकर भगवती का स्मरण कर ही नित्य क्रिया प्रारंभ करनी चाहिए। नीतिगत कार्यों से जुड़कर अनीतिगत कार्यों की उपेक्षा करनी चाहिए। आहार सात्विक लेना चाहिए और आचरण पवित्र रखना चाहिए। नवरात्रि में सम्यक् प्रकार से सत्याचरण करते हुए साधक शक्ति का अर्जन कर सकता है। पूजन मन को एकाग्रचित्त करके करना चाहिए। यदि संभव हो तो नित्य श्रीमद्भागवत, गीता, देवी भागवत आदि ग्रंथों का अध्ययन करना चाहिए, इससे मां दुर्गा की पूजा में मन अच्छी तरह लगेगा। जिनके परिवार में शारीरिक, मानसिक या आर्थिक किसी भी प्रकार की समस्या हो, वे मां दुर्गा से रक्षा की कामना करें। इससे उन्हें चिंता से मुक्ति भी मिलेगी और मन भी उत्साहित रहेगा।
नियम :
अपनी वाचा, आचरण, चिंतन पर अनैतिक आवरण न रखे l
कई बार ऐसा होता है कि मां दुर्गा की पूजा विधि-विधानपूर्वक करने पर भी वांछित फल की प्राप्ति नहीं हो पाती। दुर्गा जी की पूजा में दूर्वा, तुलसी, आंवला आक और मदार के फूल अर्पित नहीं करें। लाल रंग के फूलों व रंग का अत्यधिक प्रयोग करें।
कई बार ऐसा होता है कि मां दुर्गा की पूजा विधि-विधानपूर्वक करने पर भी वांछित फल की प्राप्ति नहीं हो पाती। दुर्गा जी की पूजा में दूर्वा, तुलसी, आंवला आक और मदार के फूल अर्पित नहीं करें। लाल रंग के फूलों व रंग का अत्यधिक प्रयोग करें।
लाल फूल नवरात्र के हर दिन मां दुर्गा को अर्पित करें। शास्त्रों के अनुसार घर में मां दुर्गा की दो या तीन मूर्तियां रखना अशुभ है।
मां दुर्गा की पूजा सूखे वस्त्र पहनकर ही करनी चाहिए, गीले कपड़े पहनकर नहीं। अक्सर देखने में आता है कि महिलाएं बाल खुले रखकर पूजन करती हैं, जो निषिद्ध है। विशेष कर दुर्गा पूजा या नवरात्रि में हवन, पूजन और जप आदि के समय उन्हें बाल खुले नहीं रखने चाहिए।
ज्योतिष्याचार्य डॉ. सुहास रोकडे
Consultant Astrologer
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