सर्व-पितृ अमावस्या कल - कैसे करें तर्पण
12 अक्टूबर साल 2015 का वह दिन है जिस दिन आप अपनी सभी प्रकार की समस्याओं से मुक्ती पा सकते हैं, क्योंकि यह श्राद्ध का अंतिम दिन है, जिसे सर्व-पितृ अमावस्या भी कहा जाता है। आइए अब जानते हैं इस दिन के बारे में विस्तार में।
कैसे करें तर्पण
तर्पण मुहूर्त :
११ ऑक्टोबर रात्री २.५८ से
१२ ऑक्टोबर प्रात: ५.३५ पर्यंत.
तांबे के पात्र में गंगाजल लें। ( शुद्ध जल भी ले सकते हैं)उसमें गाय का कच्चा दूध और थोड़ा काला तिल डालें।अब उस पात्र में कुशा डालकर उसे मिलाएँ।स्टील का एक अन्य पात्र (लोटा) लें और उसे अपने सामने रखें।दक्षिणाभिमुख होकर खड़े हो जाएँ।कुशा के साथ तांबे के पात्र के जल को स्टील के लोटे में धीरे-धीरे गिराएँ, ध्यान रहे कि कुशा न गिरे।जल को गिराते समय नीचे लिखे मंत्र का उच्चारण करें।
ॐ पितृ गणाय विद्महे जगत धारिण्ये धीमहि तन्नो पितरो प्रचोदयात् ।
अंत में ज़रूरतमंदों को खाना खिलाये.
भोजन विधान
सर्व-पितृ अमावस्या के दिन तर्पण के बाद श्रद्धा से ज़रूरतमंदों को भोजन कराना चाहिए। शास्त्रों में इसका बहुत बड़ा महत्व बताया गया है। परंपरा के अनुसार श्राद्ध के बाद गाय, कौवा, अग्नि, चींटी और कुत्ते को खाना दिया जाता है। इससे पितरों को शांति मिलती है और वे तृप्त होते हैं।
ज्योतिष्याचार्य
डॉ.सुहास रोकडे
www.astrotechlab.weebly.com
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